Wednesday, August 19, 2009

satyarthved.blogspot.com पर नवीन त्यागी का लाजवाब लेख

बंटवारा
बहुत ही हो हल्ला मचना शुरू हो गया है ,जैसे की जसवंत सिंह ने जिन्ना को१९४७ के बटवारे का अपराधी न मानकर कोई बहुत ही बड़ा अपराध कर दिया हो। लेकिन हाँ ,सरदार पटेल को इस कीचड में धकेल कर जसवंत सिंह ने जरूर अपराध किया है। बटवारे का अपराधी अगर ढूँढने की कोशिश की जाय तो हमें उन कारणों को देखना पड़ेगा जो इस संसार में इस्लाम के साथ आए । जिन्ना ने अपने मुस्लिम लीग के सम्मलेन में दिए गए एक भाषण में कहा था कि जिस दिन भारत में पहले मुस्लमान ने कदम रक्खा था। पकिस्तान का निर्माण की नींव उसी दिन रक्खी गई थी।लेकिन बाद में जिन्ना से दो कदम आगे बढ़कर गाँधी जी के प्यारे शिष्य नेहरू ने अपने सपनो को पूरा करने के लिए भारत के बटवारे में जिन्ना का पूरा साथ दिया,और समर्थन मिला उन्हें भारतीय मुसलमानों का।बटवारे के जितने भी कारण रहे उनमे बड़ा कारण था भारत में ३०% मुसलमानों की आबादी। और उस से भी सबसे बड़ा कारण रहा उस आबादी को मिल रही उनकी धार्मिक पुस्तक कुरान की शिक्षा। आप पूरे विश्व पर नजर डालिए,जहाँ भी मुसलमानों की आबादी लगभग १०% से कम होती है,तब ये वहां पर बड़ी शान्ति के साथ रहते है और लगातार अपनी आबादी बढ़ने पर जोर देते है। जहाँ इनकी आबादी १०%से २०%तक होती है उस देश में ये उलटी सीदी मांग करते है और आतंकवाद का सहारा लेते है। भारत इसका सबसे बड़ा उदहारण है।२५%से ४०% तक की आबादी होने परे उस देश में ग्रह युद्ध शुरू हो जाते है। सीरिया इसका सबसे बड़ा उदहारण है।सीरिया में पिछले २० वर्ष से लगातार मुसलमानों व ईसाईयों का गृहयुद्ध चल रहा है। दर्जनों अफ्रीकी देश और भी इस बात के उदहारण है। ४०% से ऊपर जब इनकी आबादी हो जाती है तो उस देश का या तो बटवारा होता है और या फ़िर शुरू होती है शरीय कानून की शुरुआत जहाँ मुसलमानों के अतिरिक्त किसी दूसरे धर्म के लोगो को जीने का कोई अधिकार नही होता। इन सब बातों का मूल कारण क्या है? मुसलमानों की इन सोंचो के पीछे सबसे बड़ा कारण है इनकी धार्मिक शिक्षा । यानि कुरान की शिक्षा ।
मानव एकता और भाईचारे के विपरीत कुरान का मूल तत्व और लक्ष्य इस्लामी एकता व इस्लामी भाईचारा है। गैर मुसलमानों के साथ मित्रता रखना कुरान में मना है। कुरान मुसलमानों को दूसरे धर्मो के विरूद्ध शत्रुता रखने का निर्देश देती है । कुरान के अनुसार जब कभी जिहाद हो ,तब गैर मुस्लिमों को देखते ही मार डालना चाहिए। कुरान में मुसलमानों को केवल मुसलमानों से मित्रता करने का आदेश है। सुरा ३ की आयत ११८ में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो। "लगभग यही बात सुरा ३ कि आयत २७ में भी कही गई है, "इमां वाले मुसलमानों को छोड़कर किसी भी काफिर से मित्रता न करे। "कुरान की लगभग १५० से भी अधिक आयतें मुसलमानों को गैर मुसलमानों के प्रति भड़काती है। सन १९८४ में हिंदू महासभा के दो कार्यकर्ताओं ने कुरान की २४ आयातों का एक पत्रक छपवाया । उस पत्रक को छपवाने पर उनको गिरफ्तार कर लिया गया। परन्तु तुंरत ही कोर्ट ने उनको रिहा कर दिया। कोर्ट ने फ़ैसला दिया,"कुरान मजीद का आदर करते हुए इन आयतों के सूक्ष्म अध्यन से पता चलता है की ये आयते मुसलमानों को गैर मुसलमानों के प्रति द्वेषभावना भड़काती है............."उन्ही आयतों में से कुछ आयतें निम्न है................सुरा ९ आयत ५ में लिखा है,......."फ़िर जब पवित्र महीने बीत जायें तो मुशरिकों (मूर्ती पूजक) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और उन्हें pakdo व घेरो और हर घाट की जगह उनकी ताक में बैठो। यदि वे तोबा करले ,नमाज कायम करे,और जकात दे तो उनका रास्ता छोड़ दो। निसंदेह अल्लाह बड़ा छमाशील और दया करने वाला है। "इस आयत से साफ पता चलता है की अल्लाह और इश्वर एक नही हो सकते । अल्लाह सिर्फ़ मुसलमानों का है ,गैर मुसलमानों का वह तभी हो सकता है जब की वे मुस्लमान बन जाए। अन्यथा वह सिर्फ़ मुसलमानों को गैर मुसलमानों को मार डालने का आदेश देता है। सुरा ९ की आयत २३ में लिखा है कि, "हे इमां वालो अपने पिता व भाइयों को अपना मित्र न बनाओ ,यदि वे इमां कि अपेक्षा कुफ्र को पसंद करें ,और तुमसे जो मित्रता का नाता जोडेगा तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे। " इस आयत में नव प्रवेशी मुसलमानों को साफ आदेश है कि,जब कोई व्यक्ति मुस्लमान बने तो वह अपने माता , पिता, भाई सभी से सम्बन्ध समाप्त कर ले। यही कारण है कि जो एक बार मुस्लमान बन जाता है, तब वह अपने परिवार के साथ साथ राष्ट्र से भी कट जाता है। सुरा ४ की आयत ५६ तो मानवता की क्रूरतम मिशाल पेश करती है ..........."जिन लोगो ने हमारी आयतों से इंकार किया उन्हें हम अग्नि में झोंक देगे। जब उनकी खाले पक जाएँगी ,तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसा-स्वादन कर लें। निसंदेह अल्लाह ने प्रभुत्वशाली तत्व दर्शाया है।" सुरा ३२ की आयत २२ में लिखा है "और उनसे बढकर जालिम कोन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा चेताया जाए और फ़िर भी वह उनसे मुँह फेर ले।निश्चय ही ऐसे अप्राधिओं से हमे बदला लेना है। "सुरा ९ ,आयत १२३ में लिखा है की," हे इमां वालों ,उन काफिरों से लड़ो जो तुम्हारे आस पास है,और चाहिए कि वो तुममे शक्ति पायें।"सुरा २ कि आयत १९३ ............"उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तक मूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब(इस्लाम) सब पर हावी न हो जाए। "सूरा २६ आयत ९४ ..................."तो वे गुमराह (बुत व बुतपरस्त) औन्धे मुँह दोजख (नरक) की आग में डाल दिए जायंगे।"सूरा ९ ,आयत २८ ......................."हे इमां वालों (मुसलमानों) मुशरिक (मूर्ती पूजक) नापाक है। "गैर मुसलमानों को समाप्त करने के बाद उनकी संपत्ति ,उनकी औरतों ,उनके बच्चों का क्या किया जाए ? उसके बारे में कुरान ,मुसलमानों को उसे अल्लाह का उपहार समझ कर उसका भोग करना चाहिए।सूरा ४८ ,आयत २० में कहा गया है ,....."यह लूट अल्लाह ने दी है। "सूरा ८, आयत ६९..........."उन अच्छी चीजो का जिन्हें तुमने युद्ध करके प्राप्त किया है,पूरा भोग करो। "सूरा १४ ,आयत १३ ............"हम मूर्ती पूजकों को नष्ट कर देंगे और तुम्हे उनके मकानों और जमीनों पर रहने देंगे।"मुसलमानों के लिए गैर मुस्लिमो के मकान व संपत्ति ही हलाल नही है, अपितु उनकी स्त्रिओं का भोग करने की भी पूरी इजाजत दी गई है।सूरा ४ ,आयत २४.............."विवाहित औरतों के साथ विवाह हराम है , परन्तु युद्ध में माले-गनीमत के रूप में प्राप्त की गई औरतें तो तुम्हारी गुलाम है ,उनके साथ विवाह करना जायज है। "इस्लाम समस्त विश्व को दो भागो में बांटता है। १--दारुल इस्लाम। २--दारुल हरब। वह देश जहाँ इस्लामिक राज्य होता है,वह दारुल इस्लाम तथा जहाँ इस्लाम का राज्य नही होता वह देश कुरान के अनुसार दारुल हरब(यानि शत्रु का देश) है। कुरान के अनुसार "दारुल हरब को दारुल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का मजहबी कर्तव्य है।इस कार्य को करने के लिए किया गया युद्ध जेहाद कहलाता है।जेहाद-------अनवर शेख अपनी पुस्तक "इस्लाम-कामवासना और हिंसा" में लिखते है की,"गैर इमां वालों के विरुद्ध जिहाद एक अंतहीन युद्ध है । जिसमे हिंदू, बोद्ध, ---------ईसाई, यहूदी समविष्ट है।इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी व्यक्ति का सबसे बड़ा अपराध यह है की, वह अल्लाह पर इमां लाये जाने वाले और पूजे जाने के मोहम्मद के एकमात्र अधिकार को न माने।यह आश्चर्य पूर्ण सत्य है कि, (इस्लाम का) अल्लाह ,गैर मुस्लिमों पर आक्रमण,उनके वद्ध,उनकी लूटपाट,उनकी महिलाओं के शीलभंग और दास बनाने के कार्यों को ,जिन्हें साधारण मानव भी जघन्य अपराध मानता है,उनको सर्वाधिक पुनीत एवं पवित्र घोषित करके जिहाद के लिए मुसलमानों को घूस देता है।"
अब मुसलमानों को जब उनकी धार्मिक पुस्तक कुरान ऐसी शिक्षा देती है तो बटवारे के कारणों को ढूढना एकदम मूर्खता है ।कोन किसको दोष देता है ये तो केवल राजनितिक प्रपंच है।अंत में एक ही बात कहना चाहूँगा कि जसवंत सिंह पूरे भारत से छमा मांगे क्यों कि वह तुच्छ मनुष्य,सरदार पटेल की पाँव की धूलि के बराबर भी नही है।


Sunday, August 2, 2009

satyarthved.blogspot.com पर नवीन त्यागी का लेख

एक और संग्राम
बड़े बड़े इतिहासकार,लेखक,बुद्धिजीवी, व हिन्दुओं के धर्म गुरु जब भी हिंदू व मुसलमानों के द्वेषभाव के कारण बताते है तो वे सब एक ही बात कहते हैं कि, अंग्रेजों ने भारत में राज्य स्थापित करने के लिए हिंदू व मुसलमानों को आपस में लड़ाया। उन सभी भद्रजनों की ये बातें मेरे ह्रदय को बहुत ज्यादा ठेस पहुंचाती है,मानो कि अंग्रेजों के भारत आने से पहले हिंदू व मुसलमान बहुत प्रेम के साथ रह रहे थे। इस बात से सबसे बड़ा आघात तो तब होता है जब सोचता हूँ की मुस्लिम सल्तनत में हिंदू हमेशा दोयम दर्जे का नागरिक रहा,तथा उसे अपना धर्म बचाए रखने के लिए धार्मिक कर जजिया देना पड़ता था । वे सभी भद्रजन अपनी बात कहकर लगभग १२०० वर्षों के उस इतिहास को समाप्त ही कर देते है जिसमे हिंदू समाज ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए निरंतर मुसलमानों से धर्म युद्ध जारी रक्खा तथा लाखों की संख्या में अपना बलिदान किया। सोमनाथ के मन्दिर को बचाने व अयोध्या के मन्दिर को वापस लेने के लिए ही लगभग ५ लाख हिन्दुओं ने बलिदान दिया। मोहम्मद बिन कासिम के पहले सफल आक्रमण से लेकर टीपू सुलतान तक सैकडो नरपिशाचों ने लगभग १० करोड़ हिन्दुओं को तलवार की धार पर मुसलमान बनाया।करोड़ों हिंदू महिलाओं के बलात्कार हुए, लाखों मन्दिर तोडे गए। कासिम,महमूद गजनवी, सलार गाजी, गोरी,कुतुबुद्दीन,बलबन,खिलजी वंश ,तुगलक वंश, लोदी वंश, शेरशाह सूरी, मुग़ल वंश , अब्ब्दाली,नादिरशाह व टीपू सुलतान जैसे नर पिशाचों ने लगातार हिंदू समाज को प्रताडित किया। परन्तु तथागत भारतीय बुद्धिजीवी हिंदू समाज के १२०० वर्षों के प्रतारण को व उन वीर हिंदू सेनापतियों के उस साहस को जो कि राजा दाहिर,बाप्पा रावल, गुर्जर नरेश नाग भट्ट, जयपाल,अनंगपाल,विद्द्याधर चंदेल,प्रथ्विराज चोहन,नसरुद्दीन, हेमू,महाराणा सांगा, सुहेलदेव पासी,महाराणा प्रताप,अमर सिंह राठोड,दुर्गादास,राणा रतन सिंह ,गुरु तेग बहादुर,गुरु गोविन्द सिंह,वीरबन्दाबैरागी,महाराज शिवाजी,वीर छत्रसाल, महाराजा रणजीत,हरी सिंह नलवा जैसे सैकडो वीरो ने दिखाया तथा अपने पूरे जीवन में स्वतंत्रता की ज्वाला को दहकाए रक्खा। हिंदू व मुस्लमान दो अलग अलग सभ्यताएं है। ये दो विपरीत ध्रुव है,जो कभी न तो एक थे और न ही एक हो सकते हैं।जिस दिन भारत की धरती पर पहले मुसलमान ने कदम रक्खा था, ये ध्राम्यु द्धउसी दिन शुरू हो गया था। इस धर्म युद्ध में पहली जीत मुसलमानों की १९४७ में हो चुकी है,जब उन्होंने भारत का बटवारा कराकर पाकिस्तान बना दिया।१९४७ के बाद भी हिंदू समाज इस धर्मयुद्ध को लगातार हार रहा है। कश्मीर भारत के हाथ से लगभग निकल चुका है,आसाम की स्थिति दयनीय हो चुकी है,पश्चिमी उ।प्र.,केरल,भिहर,पुर्वी बंगाल अगले निशाने पर है। इन छेत्र में रहने वाले मुस्लमान इस्लामिक आतंकवाद के पूर्ण रूप से समर्थक है।ऐसे में हिंदू-मुस्लिम एकता की बातें करना राष्ट्रद्रोह नही तो और क्या है। सामान नागरिक कानून,जनसँख्या कानून,राम मन्दिर,३७० धारा को चुनाव में मुद्दे बनने वाली बी जे पी भी चुनाव समाप्त होने के बाद विपक्क्ष में गाँधी का बन्दर बन जाती है। मुस्लमान कुरान की shikxa के अनुसार ही bharat को तोड़ने की साजिश में लगा हुआ है। कुरान में साफ लिखा है की दारूल हरब यानि शत्रु के देश को दारूल इस्लाम यानि मुस्लिम राज्य में बदलना हर मुसलमान का परम कर्तव्य है। कुरान के अनुसार राष्ट्रवाद की बातें करना भी पाप है। मुस्लिम आतंकी मुसलमानों के लिए शहीद होते है। मुसलमानों के धार्मिक गुरु,मस्जिदa मदरसे आतंकवाद को बढावा देते है। कोई भी राजनैतिक दल इनका विरोध नही करता। मुस्लिम आतंकी के जनाजे में हजारों मुसलमानों का एकत्र होना तथा उन्ही जनाजो में राजनेताओं का पहुच कर शामिल होना राष्ट्रद्रोह की पराकाष्ठा है। गुजरात में तो कुछ वर्ष पहले एक ऐसे ही जनाजे में एक कांग्रेसी नेता शामिल भी हुए और आतंकी के परिवार को ५ लाख रूपये देने की घोषणा भी कर डाली। अभी हाल ही में मारे गए एक आतंकी के मारे जाने पर जामा मस्जिद का इमाम बुखारी आजमगद उसके घर गया और उसे कोम का शहीद बताया। किसी भी राजनेता ने इस बात पर आपति नही जताई। मुसलमानों की बदती जनसँख्या को बंगलादेशी घुसपैठ ने १९४७ के हिंदू-मुस्लिम अनुपात को १:१२ से १:६ कर दिया है। हिंदू समाज में कब जाग्रति आएगी?अपने राष्ट्र के और कितने टुकड़े देखना चाहता हैसोया हुआ हिंदू समाज । मेरी ये बातें कड़वी जरूर है पर सोचो, जहाँ पिछले १२०० वर्षों में १९४७ तक १३ करोड़ मुसाल्मान बड़े यानि १०० वर्षों में लगभग १ करोड़ की बढोतरी। वही भारत के बटवारे के बाद केवल ६० वर्षों में मुसलमानों की जनसँख्या ३ करोड़ से २० करोड़ हो गई है। अर्थार्त ४.५ वर्ष में १ करोड़। आगे ये जनसँख्या और भी तेजी से बढने वाली है। १९४७ में ३३% होने पर पकिस्तान बना। तो क्या दोबारा से भारत बटवारे की और नही चल रहा है?नही, क्यो की मुस्लिम विद्वान् व नेता अब भारत का बटवारा नही चाहते। उनका ध्येय तो अब पूरा भारत हड़पने का बन चुका है। आने वाले २० वर्षों में मुस्लिम आबादी लगभग ४०%हो जायेगी। और भारत में शुरू होगा दोबारा मुस्लिम शासन। भारत में लागू होगी शरीय कानून व्यवस्था यानि धर्म युद्ध में हिंदू समाज की दूसरी बड़ी पराजय । दुनिया के उन सभी देशों में जहाँ मुसलमानों की आबादी ४०% से उअपर है वहाँ हर जगहं गृहयुद्ध चल रहा है।सीरिया, लीबिया व सूडान में तो मुस्लमान इसाई लोगो को दास बनाकर आज भी बेचते है। अत:हे हिंदू जागो,मुसलमानों के बच्चाकरण, घुसपैठ, आतंकी फैक्ट्री मदरसों का खुलकर विरोध करो। इस समय का बलिदान ही आपकी आने वाली पीढियों को प्रसन्न व संपन्न बनाये रख सकता है और आपका दब्बूपन भविष्य की पीढियों को अंधकारमय जीवन ही दे सकता है। चलो इस देश का नवजागरण तुमको बुलाता है।समर का है तुम्हे आमंत्रण वह तुमको बुलाता है।चलो आलोक लेकर के अँधेरा काट दे इसका है तुमपे देश का जो ऋण वह तुमको बुलाता है।तुम्हारे हर कदम की ताल से जय गान ये होगापुन:सिरमोर दुनिया का अरे हिंदुस्तान ये होगा।भविष्य के वतन की पीढियों को दान ये होगा। तुम्हारा राष्ट्र को अर्पित किया सम्मान ये होगा।

Monday, May 18, 2009

ब्लॉग लिखने का कारन

आज कल लाखों लोग ब्लॉग लिखने लगे है, तो मैंने भी सोचा की मै भी उन लोगों में शामिल हो जाऊं ,और अपने ज्ञान से आप का हिस्सा बन जाऊँ। आब पड़ते ही रहोगे या टिपण्णी भेज कर चिटठा जगत में स्वागत भी करोगे.